Thursday 23 June 2016

shiwaji maharaj history




पूरा नाम – शिवाजी शहाजी भोसले.
जन्म – अप्रैल, 1627/19 फरवरी, 1630. जन्मस्थान
शिवनेरी दुर्ग (पुणे).
पिता – शहाजी.
माता – जिजाबाई.
विवाह – सइबाई के साथ.

छत्रपती शिवाजी महाराज / Shivaji Maharaj History In Hindi शिवाजी उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे. शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे. धार्मिक अभ्यासों में उनकी काफी रूचि थी. रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे. शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से शिवाजी महाराज / Shivaji Maharaj का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था | शिवनेरी का दुर्ग पूना (पुणे) से उत्तर की तरफ़ जुन्नार नगर के पास था | उनका बचपन राजा राम, गोपाल, संतों तथा रामायण , महाभारत की कहानियों और सत्संग में बीता | वह सभी कलाओ में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी | उनके पिता अप्रतिम शूरवीर थे | शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा | बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को बहली प्रकार समझने लगे थे | शासन वर्ग की करतूतों पर वे झल्लाते थे और बेचैन हो जाते थे | उनके बाल-ह्रदय में स्वाधीनता की लौ प्रज्ज्वलित हो गयी थी | उन्होंने कुछ मावळावो (सभि जाती के लोगो को ऐक ही (मावळा) ऊपाधी दे कर जाती भेद खत्म करके सारि प्रजा को संघटित कीया था) का संगठन किया | विदेशी शासन की बेड़ियाँ तोड़ फेंकने का उनका संकल्प प्रबलतर होता गया | छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सन 14 मई 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल पुना में हुआ था |

शिवाजी महाराज शिवराज्याभिषेक :- Shivaji Maharaj Rajyabhishek सन 1674 तक शिवाजी राजे ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था जो पुरन्दर की संधि के अंतर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे | पश्चिमी महाराष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजीराजे का राज्याभिषेक हुआ. विभिन्न राज्यों के दूतों, प्रतिनिधियों के अलावा विदेशी व्यापारियों को भी इस समारोह में आमंत्रित किया गया | शिवाजी राजे ने छत्रपति की उपाधि ग्रहण की | काशी के पंडित विश्वेक्ष्वर जी भट्ट को इसमें विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था | पर उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया | इस कारण से दूसरी बार उनका राज्याभिषेक हुआ | इस समारोह में हिन्द स्वराजकी स्थापना का उद्घोष किया गया था | विजयनगर के पतन के बाद दक्षिण में यह पहला हिन्दू साम्राज्य था | एक स्वतंत्र शासक की तरह उन्होंने अपने नामका सिक्का चलवाया | इसके बाद बीजापुर के सुल्तान ने कोंकण विजय के लिए अपने दो सेनाधीशों को शिवाजी के विरुध्द भेजा पर वे असफल रहे |

एक नजर मै शिवाजी महाराज का इतिहास – Shivaji Maharaj History In Hindi-

1) उनका जन्म पुणे के किले में 7 अप्रैल 1627 को हुआ था. (उनकी जन्मतिथि को लेकर आज भी मतभेद चल रहे है)

2) शिवाजी महाराज ने अपना पहला आक्रमण तोरण किले पर किया, 16-17 वर्ष की आयु में ही लोगों ( मावळावो ) को संगठित करके अपने आस-पास के किलों पर हमले प्रारंभ किए और इस प्रकार एक-एक करके अनेक किले जीत लिये, जिनमें सिंहगढ़, जावली कोकण, राजगढ़, औरंगाबाद और सुरत के किले प्रसिध्द है. शिवाजी की ताकत को बढ़ता हुआ देख बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिता को हिरासत में ले लिए. बीजापुर के सुल्तान से अपने पिता को छुड़ाने के बाद शिवाजी राजे ने पुरंदर और जावेली के किलो पर भी जीत हासिल की. इस प्रकार अपने प्रयत्न से काफी बड़े प्रदेश पर कब्जा कर लिया.

3) शिवाजी राजे की बढती ताकत को देखते हुए मुघल सम्राट औरंगजेब ने जय सिंह और दिलीप खान को शिवाजी को रोकने के लिये भेजा. और उन्होंने शिवाजी को समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा. समझौते के अनुसार उन्हें मुघल शासक को 24 किले देने थे. इसी इरादे से औरंगजेब ने शिवाजी राजे को आमंत्रित भी किया. और बाद में शिवाजी राजे को औरंगजेब ने अपनी हिरासत में ले लिया था, कैद से आज़ाद होने के बाद, छत्रपति ने जो किले पुरंदर समझौते में खोये थे उन्हें पुनः हासिल कर लिया. और उसी समय उन्हें “छत्रपति” का शीर्षक भी दिया गया.

4) उन्होंने मराठाओ की एक विशाल सेना तैयार की थी. उन्होंने गुरिल्ला के युद्ध प्रयोग का भी प्रचलन शुरू किया. उन्होंने सशक्त नौसेना भी तैयार कर रखी थी. भारतीय नौसेना का उन्हें जनक कहा जाता है.

5) जून, 1674 में उन्हें मराठा राज्य का संस्थापक घोषीत करके सिंहासन पर बैठाया गया.

6) शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 12 दिन बाद उनकी माता का देहांत हो गया.

7) उनको ‘छत्रपती’ की उपाधि दी गयी. उन्होंने अपना शासन हिन्दू-पध्दती के अनुसार चलाया. शिवाजी महाराज के साहसी चरित्र और नैतिक बल के लिये उस समय के महान संत तुकाराम, समर्थ गुरुरामदास तथा उनकी माता जिजाबाई का अत्याधिक प्रभाव था.

8) एक स्वतंत्र शासक की तरह उन्होंने अपने नाम का सिक्का चलवाया.

9) मृत्यु – अप्रैल, 1680 में शिवाजी महाराज का देहांत हुवा. शिवाजी महाराज की गनिमी कावा को विलोभनियतासे और आदरसहित याद किया जाता है.

शिवाजी महाराज राजमुद्रा :- Shivaji Maharaj Rajmudra

6 जून “इ.स. 1674” को शिवाजी महाराज का रायगड पर राज्याभिषेक हुवा. और तभी से “शिवराज्याभिषेक शक शुरू किया और “शिवराई” ये मुद्रा आयी.

Shivaji Maharaj Rajmudra – छत्रपती शिवाजीराजे पुणे का काम देखने लगे, तभी उन्होंने खुदकी राजमुद्रा तयार की. और ये राजमुद्रा संस्कृत भाषा में थी.

संस्कृत : “प्रतिपच्चंद्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववंदिता शाहसुनोः शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते”

इंग्रजी : The glory of this Mudra of Shahaji’s son Shivaji (Maharaj ) will grow like the first day moon .It will be worshiped by the world & it will shine only for well being of people.

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